शत्रु के रक्त से कर विजय अभिमान का दिया उपहार शत्रु के रक्त से कर विजय अभिमान का दिया उपहार
बन नदी से मिल गया वृहत समुद्र क्षीर में। बन नदी से मिल गया वृहत समुद्र क्षीर में।
किसी से कभी नहीं डरा हैै। देश हमारा शोर्य भरा है। किसी से कभी नहीं डरा हैै। देश हमारा शोर्य भरा है।
क्यों मज़हब-मज़हब करते हो उस रब से भी ना डरते हो, बना बना के धर्म अनेक आपस में कट मरते हो। क्यों मज़हब-मज़हब करते हो उस रब से भी ना डरते हो, बना बना के धर्म अनेक आप...
सुभाष-भगत-सुखदेव-गुरु, चन्द्रशेखर आज़ाद यहाँ, अशफाक उल्ला और बिस्मिल।। सुभाष-भगत-सुखदेव-गुरु, चन्द्रशेखर आज़ाद यहाँ, अशफाक उल्ला और बिस्मिल।।